एक देश एक चुनाव

जैसे ही मोदीजी की 2.O सरकार बनी तबसे ही इस बात की हवा और तेज हो गयी और वो है एक देश एक चुनाव

कुछ पार्टिया इसका विरोध कर रही है कुछ समर्थन, भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसका विरोध कर रही है और तमाम क्षेत्रीय पार्टिया भी इसका विरोध कर रही है।

अच्छा कुछ तो होगा उनके विरोध में और उनके विरोध का सबसे मुख्य कारण ये है कि अगर एक साथ देश के सारे चुनाव होंगे तो क्षेत्रीय मुद्दों का प्रभाव एकदम ना के बराबर हो जाएगा और राजनीतिक पार्टियां जैसे सपा , बसपा , tdp आदि पार्टिया क्षेत्रीय मुद्दों के दम पर ही जिंदा है , तो यहां इनका विरोध बेतुका है अरे अगर आप एक अच्छी पार्टी है तो आप वैसे preparation कीजिये कि आप अपने क्षेत्र के लोगो को अपने तरफ बनाये रखे।

दूसरी बात यदि देश के सभी चुनाव एक साथ होंगे तो ये लोग जनता को जाती के नाम पर बरगला नही पाएंगे न इसलिए ये जी-तोड़ इस थ्योरी को खत्म करना चाहते है।

लेकिन कांग्रेस का एक देश एक चुनाव के खिलाफ होना कुछ हजम नही हो रहा है।

या तो अब इनको अपना अंत दिखाई दे रहा है या बस विपक्ष में होने के वजह से ये विरोध कर रहे।

वैसे एक देश एक चुनाव के कई फायदे है।

1. चुनाव में जो पैसे खर्च हो रहे है उसपर लगाम लगेगा। मान लीजिए मोदी जी कहि रैली करने गए तो अगर सारे चुनाव एक साथ हो रहे है तो वे एक ही ख़र्च में दोनों प्रचार कर देंगे तो हुई न पैसों की बचत

2. अगर पैसे की बचत होगी तो महंगाई भी कम होगी।

तो अब आप खुद सोच लीजिये की आप देश का पैसा बचाना चाहेंगे या अलग – अलग चुनाव कराकर खर्च करना चाहेंगे।

धन्यवाद।

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