योगा: सम्पूर्ण बीमारियों का अचूक इलाज

आज 21 जून 2019 को पूरा विश्व अपना 5 वा अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। योगा के प्रचार-प्रसार में भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने सबसे बड़ा योगदान दिया। उन्होंने ही जून 2014 विश्व महासभा में अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था। जिसे 193 देशो में 177 रिकॉर्ड देशो ने स्वीकार कर लिया और तभी से 21 जून 2015 से अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने लगा।

योग के फायदे :-

1. योगा एक व्यक्ति को खुद के मन के ऊपर नियंत्रित करने लायक बना देता है मतलब योग से व्यक्ति धैर्यवान, Concentrate होता है। 2.योग आज के समय मे जड़ित बीमारिया जैसे डायबिटीज, हार्ट, B.P. , cancer, घुटने का दर्द, सांस का रोग आदि बीमारियो से योग करने वाले व्यक्तियों को इनसे निरोग रखता है। 3. योग न सिर्फ बीमारी के समय मददगार होता है बल्कि निरोगी व्यक्ति के जीवन मे समायोजन में भी मदद करता है । 4. भारत मे आज भी 20% आबादी गरीब है और आज के समय मे बीमार होना आम बात है और उनका इलाज कराना एक गरीब व्यक्ति को और गरीब बना देता है। अतः योग एकमात्र ऐसा साधन है जिसको एक गरीब भी अपना के निरोग हो सकता है बल्कि अपने जीवन को अच्छी तरह से जी सकता है।

कुछ इस्लाम धर्म के तुच्छ बुद्धिजीवियों का कहना है कि योग इस्लाम के विरोधी है पर उनके ज्ञान के लिए बताते चले कि आज 46 मान्यता प्राप्त इस्लाम राष्ट्र भी आज योग दिवस मना रहे है।

अतः योग अपनाए और अपने जीवन को निरोग और सुदृढ बनाये। जय हिंद।।

वन्दे मातरम और विवाद

18 और 19 जून को लोकसभा चुनाव 2019 ने चुन के आये नए नवेले सांसदों ने शपथ ली उस समय कुछ साधारण नही घटा 19 जून को तो सब हदे ही पर हो गयी जब किसी ने जय श्रीराम, किसी ने अल्लाह हु अकबर के तो किसी ने वन्दे मातरम के नारे लगाए। हद तो तब हो गयी जब सपा के एक मुस्लिम सांसद ने वन्दे मातरम को इस्लाम विरोधी बता दिया। पर क्या सच मे वन्दे मातरम इस्लाम विरोधी इस बात का खंडन करते ये तथ्य:-

स्वतंत्रता से पहले लाहौर से छपने वाला उर्दू दैनिक समाचार पत्र…जिसका नाम था ‘वंदेमातरम’

इस समाचार पत्र के संपादक व समस्त कर्मचारी मुस्लिम थे जिन्हें वंदेमातरम गाने अथवा लिखने से कोई समस्या नही थी
यह वंदेमातरम का नारा ही था जिसे हिन्दू व मुस्लिमों ने मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई का हथियार बनाया था

बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था ‘वंदे मातरम’. वंदे मातरम के राष्ट्रीय गीत बनने तक एक लंबा सफर रहा है महर्षि अरविंदो ने इस गीत का अंग्रेजी (1909) में और जनाब आरिफ मोहम्मद खान ने उर्दू में अनुवाद किया. जब 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को आजादी मिली, तो सबसे पहले वंदे मातरम ही गाया गया.

दुर्भाग्य से आज तुच्छ राजनीतिवश कुछ लोग वंदेमातरम को इस्लाम के विरुद्ध बताकर खारिज कर रहे हैं ।

और जिनको उर्दू आती है वे इस बात का पुख्ता सबूत इस फ़ोटो से भी ले सकते है

एक देश एक चुनाव

जैसे ही मोदीजी की 2.O सरकार बनी तबसे ही इस बात की हवा और तेज हो गयी और वो है एक देश एक चुनाव

कुछ पार्टिया इसका विरोध कर रही है कुछ समर्थन, भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसका विरोध कर रही है और तमाम क्षेत्रीय पार्टिया भी इसका विरोध कर रही है।

अच्छा कुछ तो होगा उनके विरोध में और उनके विरोध का सबसे मुख्य कारण ये है कि अगर एक साथ देश के सारे चुनाव होंगे तो क्षेत्रीय मुद्दों का प्रभाव एकदम ना के बराबर हो जाएगा और राजनीतिक पार्टियां जैसे सपा , बसपा , tdp आदि पार्टिया क्षेत्रीय मुद्दों के दम पर ही जिंदा है , तो यहां इनका विरोध बेतुका है अरे अगर आप एक अच्छी पार्टी है तो आप वैसे preparation कीजिये कि आप अपने क्षेत्र के लोगो को अपने तरफ बनाये रखे।

दूसरी बात यदि देश के सभी चुनाव एक साथ होंगे तो ये लोग जनता को जाती के नाम पर बरगला नही पाएंगे न इसलिए ये जी-तोड़ इस थ्योरी को खत्म करना चाहते है।

लेकिन कांग्रेस का एक देश एक चुनाव के खिलाफ होना कुछ हजम नही हो रहा है।

या तो अब इनको अपना अंत दिखाई दे रहा है या बस विपक्ष में होने के वजह से ये विरोध कर रहे।

वैसे एक देश एक चुनाव के कई फायदे है।

1. चुनाव में जो पैसे खर्च हो रहे है उसपर लगाम लगेगा। मान लीजिए मोदी जी कहि रैली करने गए तो अगर सारे चुनाव एक साथ हो रहे है तो वे एक ही ख़र्च में दोनों प्रचार कर देंगे तो हुई न पैसों की बचत

2. अगर पैसे की बचत होगी तो महंगाई भी कम होगी।

तो अब आप खुद सोच लीजिये की आप देश का पैसा बचाना चाहेंगे या अलग – अलग चुनाव कराकर खर्च करना चाहेंगे।

धन्यवाद।